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भारतीय संविधान का परिचय
भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ — यह केवल कागज़ का दस्तावेज़ नहीं, बल्कि भारत के सामाजिक, राजनीतिक और कानूनी जीवन का आधार है। संविधान ने देश को एक लोकतांत्रिक, सार्वभौमिक और न्याय आधारित शासन की रूपरेखा दी। इस लेख में हम संविधान की मूल संरचना, प्रस्तावना का अर्थ, और संविधान के महत्व का संक्षिप्त परिचय देंगे।
संविधान क्या है?
संविधान वह सर्वोच्च कानून है जो राज्य की संरचना, सरकार की शक्तियाँ, नागरिकों के अधिकार एवं कर्तव्यों और शासन की प्रक्रियाओं को परिभाषित करता है। यह सरकार और नागरिकों के बीच का वैधानिक अनुबंध है।
संविधान की मुख्य विशेषताएँ
- लिखित और विस्तृत: भारतीय संविधान दुनिया के सबसे व्यापक और विस्तृत लिखित संविधानों में से एक है।
- लोकतांत्रिक स्वरूप: यह संसदीय लोकतंत्र और संघीय ढांचे को अपनाता है।
- मौलिक अधिकार: नागरिकों को जीवन, समानता और स्वतंत्रता से जुड़े अधिकार देता है।
- न्यायपालिका की स्वतंत्रता: संवैधानिक समीक्षा के माध्यम से संवैधानिक संतुलन बनाए रखता है।
- संशोधन की क्षमता: समय के अनुसार संविधान को संशोधित किया जा सकता है ताकि वह बदलती आवश्यकताओं के अनुकूल रहे।
संविधान का संक्षिप्त इतिहास
संविधान सभा का गठन 1946 में हुआ और डॉ. भीमराव अंबेडकर के नेतृत्व में मसौदा समिति ने संविधान का मसौदा तैयार किया। विभिन्न सामाजिक-राजनीतिक विचारों और अन्तरराष्ट्रीय आदर्शों का समावेश करते हुए संविधान को 26 नवम्बर 1949 को अंगीकृत किया गया और 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया।
प्रस्तावना (Preamble) का महत्व
प्रस्तावना संविधान का आत्मा-भाष्य है — यह भारत के लक्ष्य (न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व) को संक्षेप में बताती है। प्रस्तावना हमें संविधान के मूल आदर्शों और उद्देश्य की झलक देती है।
क्यों यह सब जानना ज़रूरी है?
- एक जागरूक नागरिक अपने अधिकारों और कर्तव्यों को समझकर समाज में सक्रिय भूमिका निभा सकता है।
- संविधान की समझ से आप सरकारी नीतियों और कानूनों का बेहतर आकलन कर पाएँगे।
- देश की एकता, लोकतंत्र और कानूनी व्यवस्था को बनाए रखने में मदद मिलती है।
अगला कदम: अगले लेख में हम संविधान के इतिहास और निर्माण प्रक्रिया को विस्तार से समझेंगे — यह जानना आवश्यक है ताकि आप संविधान की जड़ें और इसके बनने के समय की चुनौतियाँ समझ सकें।

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