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अनुच्छेद 32 – मौलिक अधिकारों का संरक्षक
📘 अनुच्छेद 32 भारतीय संविधान का वह विशेष अनुच्छेद है जो नागरिकों को अपने मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए सीधे सर्वोच्च न्यायालय जाने का अधिकार देता है।
👨⚖️ अनुच्छेद 32 क्या कहता है?
- यदि किसी व्यक्ति का मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 12–35) का उल्लंघन होता है, तो वह सीधे सुप्रीम कोर्ट जा सकता है
- यह संवैधानिक उपचार (Right to Constitutional Remedies) का अधिकार देता है
- सुप्रीम कोर्ट इस स्थिति में 5 प्रकार के रिट जारी कर सकता है
📝 सुप्रीम कोर्ट किन रिट्स का प्रयोग कर सकता है?
- Habeas Corpus – किसी को गैरकानूनी हिरासत से छुड़वाने के लिए
- Mandamus – सरकारी अधिकारी को कर्तव्य पूरा करने का आदेश
- Prohibition – निचली अदालत को कार्य रोकने का निर्देश
- Certiorari – फैसले को रद्द करने की शक्ति
- Quo-Warranto – किसी व्यक्ति को अवैध पद से हटाने के लिए
📢 डॉ. अंबेडकर ने क्या कहा था?
“अनुच्छेद 32 ही वह अनुच्छेद है जो भारतीय नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करता है। अगर यह न होता, तो बाकी अधिकारों का कोई महत्व नहीं रह जाता।”
“अनुच्छेद 32 संविधान की आत्मा है – यह नागरिक की सुरक्षा की गारंटी है।” 🇮🇳
🇮🇳 जय हिन्द जय भारत 🇮🇳
🏡 हमारा गांव, हमारा देश
🖤 जियो और जीने दो
✍️ Change Your Life अभियान द्वारा प्रस्तुत
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