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🇮🇳 42वाँ संविधान संशोधन (मिनी-संविधान) — संक्षेप एवं प्रभाव 🇮🇳
42वाँ संविधान संशोधन (Constitution (Forty-second Amendment) Act, 1976) भारतीय संवैधानिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण तथा विवादित अध्याय है। इसे अक्सर 'मिनी-संविधान' कहा गया क्योंकि इसने संविधान के कई लेखों, प्रीएंबल और अनुसूचियों में व्यापक परिवर्तन किए तथा कई नए प्रावधान जोड़े। यह संशोधन आपातकाल (Emergency) के समय पारित हुआ और इसके प्रभाव लंबे समय तक चर्चा का विषय रहे।
मुख्य परिवर्तनों का सार
- प्रीएंबल में शब्द-जोड़: 'Socialist', 'Secular' तथा 'Integrity' जोड़े गए।
- नए मौलिक कर्तव्य (Fundamental Duties — अनुच्छेद 51A) का समावेश।
- निर्देशात्मक सिद्धांतों (DPSP) को और विस्तृत कर उनके पालन पर जोर।
- कई धाराओं और अनुसूचियों में संशोधन — कुल मिलाकर अनेक लेखों को बदला/जोड़ा गया।
- केंद्रीय सत्ता के पक्ष में कुछ संवैधानिक संतुलन को बदलने की कोशिशें, जिससे न्यायपालिका की भूमिका पर प्रभाव पड़ा।
क्यों कहा गया 'मिनी-संविधान'?
इस संशोधन ने संविधान के कई भागों (कई दर्जन अनुच्छेद एवं अनुसूचियाँ) में बदलाव किए और नए अधिकार/कर्तव्य जोड़े — इसलिए इसे छोटा संविधान या 'मिनी-संविधान' कहा गया। बदलावों की संख्या और उनकी गम्भीरता ने संविधान की संरचना और कार्यप्रणाली पर गहरा प्रभाव डाला।
प्रभाव — कानूनी व राजनीतिक
42वें संशोधन के कारण न्यायपालिका और संसदीय सरकार के बीच गतिशीलता बदलने की कोशिश हुई — कुछ प्रावधानों ने न्यायिक समीक्षा को सीमित करने का प्रयास किया, जबकि मौलिक कर्तव्यों और DPSP को ताकत दी गयी। बाद में कई प्रावधानों की प्रकृति और सीमा पर विवाद हुआ और 43वें तथा 44वें संशोधनों तथा उच्च न्यायालयों/सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों ने कुछ सुधार और समायोजन किए।
नागरिकों के लिए संक्षिप्त संदेश
संवैधानिक संशोधन लोकतंत्र का हिस्सा हैं — परंतु उनकी दिशा, उद्देश्य और प्रभाव पर जागरूकता आवश्यक है। 42वें संशोधन ने संविधान की भूमिका, नागरिकों के कर्तव्यों और संस्थागत संतुलन पर बहस को प्रोत्साहित किया — यह नागरिकों के लिए सोचने और समझने का विषय है कि संवैधानिक शक्तियाँ कैसे संतुलित रहें।
🇮🇳 जय हिन्द जय भारत 🇮🇳
✍️ Change Your Life अभियान द्वारा प्रस्तुत
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