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🇮🇳 64. संविधान और सामाजिक न्याय — समावेशन व अधिकार
सामाजिक न्याय संविधान का एक केंद्रीय लक्ष्य है। संविधान के प्रावधान—जैसे मौलिक अधिकार, निर्देशात्मक सिद्धांत और आरक्षण—समाज के वंचित वर्गों को समान अवसर और सुरक्षा देने के लिए बने हैं।
सामाजिक न्याय का अर्थ
- सामाजिक न्याय का अर्थ है सभी नागरिकों को समान अवसर, संरक्षण और न्याय प्रदान करना।
- यह भेदभाव खत्म करने, आर्थिक असमानता को कम करने और कमजोर वर्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर केन्द्रित है।
संविधान में निहित मार्ग
नीति निर्देशक सिद्धांत (DPSP), मौलिक अधिकार और अनुच्छेदों द्वारा आरक्षण व्यवस्था जैसे उपाय संविधान में शामिल हैं ताकि सामाजिक समावेशन और निष्पक्ष प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सके।
प्रभाव और चुनौतियाँ
सामाजिक न्याय की दिशा में कई सकारात्मक कदम उठाए गए हैं — परन्तु वास्तविक परिवर्तन के लिए समग्र आर्थिक-शैक्षिक नीतियाँ और सतत समाजिक समर्थन आवश्यक है। संवैधानिक प्रावधान ही सभी समस्याओं का त्वरित समाधान नहीं है; उन्हें प्रभावी नीतियों के साथ लागू करना जरूरी है।
नागरिकों के लिए संदेश
समाज में समानता और समावेशन बनाए रखने के लिए नागरिकों का सक्रिय योगदान आवश्यक है—स्वतंत्रता, शिक्षा और समान अवसरों के लिए आवाज उठाना ही सामाजिक न्याय की दिशा में वास्तविक बदलाव लाता है।
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