मौलिक अधिकार – विस्तार से समझिए
📜 भारतीय संविधान ने प्रत्येक नागरिक को कुछ मौलिक अधिकार प्रदान किए हैं, जो लोकतंत्र की नींव हैं। इन्हें संविधान के भाग-3 में शामिल किया गया है।
🛡️ इन अधिकारों का उद्देश्य नागरिकों को न्याय, स्वतंत्रता, समानता और गरिमा प्रदान करना है।
🇮🇳 भारतीय संविधान में कुल 6 मौलिक अधिकार हैं:
- 1. समानता का अधिकार (Right to Equality):
कानून के समक्ष समानता, जातिवाद का अंत, समान अवसर आदि। - 2. स्वतंत्रता का अधिकार (Right to Freedom):
विचार, अभिव्यक्ति, आंदोलन, व्यवसाय, धर्म आदि की स्वतंत्रता। - 3. शोषण के विरुद्ध अधिकार (Right against Exploitation):
बाल श्रम, बंधुआ मजदूरी, जबरन काम आदि पर प्रतिबंध। - 4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (Right to Freedom of Religion):
किसी भी धर्म को मानने, प्रचार करने, और उसका पालन करने की स्वतंत्रता। - 5. सांस्कृतिक और शैक्षणिक अधिकार (Cultural and Educational Rights):
अल्पसंख्यकों को अपनी संस्कृति और भाषा के संरक्षण व शिक्षण का अधिकार। - 6. संवैधानिक उपचार का अधिकार (Right to Constitutional Remedies):
यदि किसी नागरिक का मौलिक अधिकार छीना जाता है तो वह सीधे सुप्रीम कोर्ट जा सकता है।
⚖️ इन अधिकारों को लागू कराने के लिए अदालतों को भी विशेष शक्तियाँ दी गई हैं।
✨ डॉ. भीमराव अंबेडकर ने कहा था – “अगर कोई एक अधिकार देना हो, तो मैं सिर्फ संवैधानिक उपचार का अधिकार दूँगा।”
🇮🇳 जय हिन्द जय भारत 🇮🇳
हमारा गाँव हमारा देश ❤️ | जियो और जीने दो
— Change Your Life अभियान द्वारा प्रस्तुत
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