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नागरिकों के अधिकार और उनका संरक्षण | मूल अधिकारों का व्यावहारिक महत्व
📘 भारतीय संविधान ने नागरिकों को मूल अधिकार प्रदान किए हैं, जो उनके जीवन, स्वतंत्रता और समानता को सुरक्षित रखते हैं। ये अधिकार भाग 3 (Article 12 से 35) में वर्णित हैं।
🛡️ छह प्रमुख मूल अधिकार:
- ⚖️ सभी नागरिकों को कानून के सामने बराबरी
- 🗣️ स्वतंत्रता का अधिकार (Article 19–22): अभिव्यक्ति, आंदोलन, निवास, व्यवसाय की स्वतंत्रता
- 🕊️ शोषण के विरुद्ध अधिकार (Article 23–24): बाल-श्रम, जबरन मजदूरी पर रोक
- 🛐 धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (Article 25–28): किसी भी धर्म को मानने की स्वतंत्रता
- 🏫 संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार (Article 29–30): अल्पसंख्यकों की सांस्कृतिक पहचान
- ⚖️ संवैधानिक उपचार का अधिकार (Article 32): मौलिक अधिकारों के उल्लंघन पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका
🔍 संरक्षण कैसे होता है?
- 👨⚖️ Article 32: “रक्षा का हृदय” – नागरिक सीधे सुप्रीम कोर्ट में जा सकते हैं
- 🧾 रिट्स: Habeas Corpus, Mandamus, Certiorari, Quo-Warranto, Prohibition
- ⚖️ न्यायपालिका: स्वतंत्र संस्थान जो अधिकारों की रक्षा करती है
📌 निष्कर्ष:
🇮🇳 नागरिकों के अधिकार केवल कागज़ी नहीं, ये लोकतंत्र की आत्मा हैं। बिना इनके, न तो स्वतंत्रता संभव है और न ही न्याय।
“मूल अधिकार – हर भारतीय की सुरक्षा की ढाल।” 🇮🇳
🇮🇳 जय हिन्द जय भारत 🇮🇳
🛡️ जियो और जीने दो
✍️ Change Your Life अभियान द्वारा प्रस्तुत





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